गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

हंगामा क्यों !

                                  
                        जब जनता को  यकीन हो गया कि  भारत  में सारी-की  सारी कुब्यवस्था  भ्रष्टाचार से अनुप्राणित पुष्पित एवं पल्लवित है, तो वह सारे दुःख-दर्द झेलते हुए भ्रष्टाचार  के विरुद्ध उठ खडी हुई और अन्ना साहब के माध्यम से मुखरित हुई जिसे सारी दुनियाँ  ने देखा और सुना | इससे भारतीय लोकतंत्र की बेजोड़ जीवन्तता भी विश्व पटल पर महसूस की गई |
                         अब समय आ गया है की भारतीय संसद एवं सांसद,विधायिकाएं एवं विधायक जन आकांक्षा को यथाशीघ्र मूर्तरूप दें | लोकपाल विधेयक की मंशा विल्कुल पाक एवं साफ़ हैं |समय आगया है जबसभी विधानविशेषज्ञों,कानूनविदों,राजनेताओं  एवं बुद्धिजीविओं को इसे संवैधानिक जामा तत्काल पहनाना चाहिए | मीडिया से भी अपेक्षा है की बढ़ते कदम की रिपोर्टिंग हो एवं कदम पीछे खीचने बालो को लोकतंत्र की इस पवित्र मांग की याद दिलाई जाय |
                          परन्तु अजीब से हालात हो रहे हैं । चर्चाएँ आम भ्रष्टाचार पीड़ित जनता एवं समाजसेवियों के बीच हो रही हैं जबकि नेता लोग तो संदर्भ को ही परिधि के बाहर घसीट रहे हैं । 
पिछले सप्ताह से बक्तब्य  देने वाले आदती लोग (राजनेता )अमरूद एवं हाथी जैसी  बातें कर रहे हैं | फिर भी कहूँगा की हाथी यदि अपने को सुराज की परिधि में लेले तो अमरूद की बेहतरी स्वयं सुनिश्चित होगी |
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अंततः 
                          लोगो के बीच स्वार्थ के सामंजस्य को मित्रता एवं स्वार्थ की टकराहट को दुश्मनी कहते हैं |
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दिनाँक 14.4.2011                                       mangal-veena.blogspot.com
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रविवार, 10 अप्रैल 2011

नवांकुर

                         लोग कहते हैं, कि समय से पहले कुछ नही होता | बीते  कई वर्षों से भारतीय जन मानस भ्रष्टाचार  की पीड़ा से कराह रहा है | दुष्यंत के शब्दों में :-
                                     हो गयी है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए |
                                     अब हिमालय से कोई, गंगा निकलनी चाहिए ||  
पिछले सप्ताह यह यकीन हो गया कि हिमालय से गंगा को निकालने वाला भागीरथ अन्ना हजारे के रूप में अवतरित हो गया है | मूक ब्यथा को वाणी मिल गयी | विजय हो इस जन-वाणी की |अन्ना साहब के  साथ   सब लोग आगे बढ़ें । अन्ना साहब हम भी तुम्हारें साथ हैं | 
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अंततः 
                         आज ही हमारे एक मित्र जमील साहब हमसे मिलने आये | वे बहुत खुश थे। कहने लगे " अन्ना साहब के आन्दोलन का दफ्तरों में बहुत अच्छा असर पड़ रहा है । जिस काम के लिए कल तक पांच की मांग थी, आज वह काम दो में होने लगा | "
जमील साहब ने कहा- आइये! आज समोसा एवं लौंगलता  की पार्टी करते हैं  |
                        जय हो आन्दोलन की !
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दिनाँक 10 . 4 . 2011                              mangal-veena.blogspot.com
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