मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

पारदर्शिता में पिछड़ती भाजपा

                               जैसे -जैसे काँग्रेस से जनता की उम्मीदें चकनाचूर हो रही हैं वैसे -वैसे जनता भाजपा के हर कदम पर सावधान निगाहें रख रही है। दूध का जला छाछ भी फूँक कर पीता है। भारतीय  जनता पार्टी पर उम्मीदें भी टिकी हैं और शंकाएँ भी क्योंकि अलग चाल ,चरित्र और चेहरा वाली पार्टी इन्ही सन्दर्भों में कहीं -कहीं बिलकुल काँग्रेस सी दिखती है। अभी हाल में जब दागी सांसदों एवं विधायकों से संवंधित उच्चतम न्यायलय के फैसले को पलटने का प्रकरण चल रहा था ,भाजपा द्वारा भी इस मुद्दे पर परोसी जा रही थाली जनता को पसन्द नहीं आ रही थी। जब राजनीतिक पार्टियों के आमदनी श्रोत उजागर करने की बात आई तो वह काँग्रेस जैसी दिखी और अपने को जनता से छिपाती नजर आई। वैसे ही जब मंत्रियों एवं जनप्रतिनिधियों के संपत्ति विवरण की बात आती है तो भाजपा की आक्रामकता भोथरी नजर आती है। जब नेताओं की महत्वाकान्छा की बात होती है तो अनुशासन की बात करने वाली पार्टी के लोग मर्यादा को धता बताते नजर आते हैं और राष्ट्रवाद की बात करने वाले नेता अपनी महत्वाकान्छा के लिए लड़ पड़ते हैं। पारदर्शिता पर बल न देने के कारण ही जनता के मन में  भाजपा के विरोध और विचारधारा पर शंका के बादल उठते रहते हैं।
                               काँग्रेस पार्टी कहती है कि उसने जनता को सूचना का अधिकार दिया जिससे शासन और ब्यवस्था में पारदर्शिता आई परन्तु सबको पता है कि शासन करने वाली राजनीतिक पार्टियाँ एवं केंद्र और राज्य की सरकारें सूचना के अधिकार के प्रति कितनी ईमानदार और संवेदनशील हैं।यह भी पता है कि अन्ना हजारे जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को सूचना अधिकार केलिए क्यों और कितना संघर्ष करना पड़ा था। शर्म की बात है कि इस लोकतान्त्रिक देश में बहुत कुछ जनता से छिपाया जाता है या कि नहीं बताया जाता है जिसे जानने के लिए उसे सूचना के अधिकार रूपी हथियार से लड़ना पड़ता है। जहाँ इस हथियार को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता थी वहीँ इसे दिनोंदिन निष्प्रभावी बनाने के लिए अनेकानेक अपवाद बनाये जा रहे हैं और इसके दायरे सीमित किए जा रहे हैं। बहुत अजीब लगा जब काँग्रेस एवं अन्य पार्टियों के साथ भाजपा भी खड़ी हो गई कि राजनीतिक पार्टियों के श्रोत एवं ब्यय विवरण नहीं दिए जा सकते क्योंकि पार्टियाँ कोई सरकारी या लोक इकाई नहीं हैं। यही है अंधी पारदर्शिता कि भाजपा भी जनता से चन्दा लेगी लेकिन जनता को इसका हिसाब नहीं देगी। फिर जनता सोच में है कि राष्ट्रवादी भाजपा पर अन्य मुद्दों के सन्दर्भ में किस दिशा में और कितना भरोसा किया जा सकता है।यह जानना सबकी बेहतरी में है कि बीसीसीआई के तर्ज पर विभिन्न दलों द्वारा दिखाया जा रहा बल्ले और गेंद का मनोरंजन महँगाई और भ्रष्टाचार की मारी जनता को शूल की तरह साल रहा है।
                             अभी उन्नीस अक्टूबर को भाजपा के प्रधान मंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी की कानपुर में एक भीड़ भरी जन सभा हुई जिसमें मोदीजी बहुत ही मार्मिक एवं तार्किक ढंग से अपनी बात जनसमूह के समक्ष प्रस्तुत किए। यहाँ तक कि वे सेक्युलरिस्म की एक अच्छी परिभाषा भी दे डाले कि हिन्दू अच्छा हिंदू बने ,मुसलमान अच्छा मुसलमान बने ,सिक्ख अच्छा सिक्ख बने और इसाई अच्छा इसाई बने -फिर हमसब मिलकर बेहतर राष्ट्र बनायें गे। यहाँ वे यह भी उल्लेख कर सकते थे कि भाजपा अच्छी सरकार बनाये गी और फिर सब मिल कर देश को बेहतर बनायें गे। फिर अच्छी सरकार के विजन पत्र की बात होती कि उनकी सरकार कराहती जनता को महँगाई और भ्रष्टाचार से बाहर निकाल कर उन्हें कैसे खुशहाल बनाने की सोच रखती है।यह अच्छा होना ही वह  ब्रह्मास्त्र  है जो भाजपा केलिए  काँग्रेस की बुराइयों पर विजय दिला सकता है। संभव है कि काँग्रेस को नकारने के लिए लोग भाजपा को चुनें परन्तु जब लोग अच्छाइयों के लिए भाजपा को बहुमत केसाथ सत्ता पर बैठाएं तभी उसे  सर्वोत्तम राष्ट्रवादी पार्टी होने का गौरव प्राप्त होगा।
                             राजनेताओं द्वारा बार -बार ठगी गई जनता के लिए आज किसी पार्टी के अच्छा होने का सबसे बड़ा मापदंड उसकी पारदर्शिता है। पारदर्शिता इस बात की गारन्टी देती है कि पार्टी मन ,वाणी और कर्म से एक है और उसपर भरोसा किया जा सकता है। पारदर्शिता की कसौटी पर, जनता के लिए संघर्ष करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा  कुछ माह पहले गठित "आम आदमी पार्टी " ,सबसे आगे दीख रही है। इसी पारदर्शिता के बल पर आज "आप "ने दिल्ली प्रदेश के चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। काँग्रेस और भाजपा के माथे पर दिल्ली के चुनाव को लेकर चिंता की लकीरें स्पष्ट हैं। जिस साफगोई से विभिन्न मुद्दों जैसे महँगाई , भ्रष्टाचार ,कालाधन ,जन लोकपाल ,नोटा ,पार्टी का आय -ब्यय विवरण ,बहुमत की स्थिति में सरकार के स्वरुप इत्यादि पर "आप "के लोग बोल रहे है ;वह आज की तारीख में जन भावना के बहुत नजदीक है। पारदर्शिता में धुंधलापन के कारण राष्ट्रीय स्तर भाजपा उस श्रेणी की आत्मीयता जनता के साथ नहीं बना पा रही है। इस दिशा में नरेन्द्र मोदी को विशेष ध्यान देना देना होगा। जनता को लगना चाहिए कि उनसे कुछ हाईड ( छिपाया )नहीं किया जा रहा है। तभी भाजपा काँग्रेस से बिल्कुल अलग दिखेगी  और जनता को अच्छा विकल्प दे सके गी।
Mangal-Veena.Blogspot.com                Date 22 October 2013
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अन्ततः
                             जब -जब हस्तिनापुर में गान्धारी की हित साधना में गान्धार के शकुनि जैसे लोग सक्रिय होंगे ,तब -तब महाभारत की पुनरावृत्ति होगी और परिणाम में गान्धारी एवं धृतराष्ट्र को केवल संताप हाथ लगेगा।                                                                   --मंगल -वीना
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गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

दशहरा का पूर्वानुमान

दशहरा अच्छा होगा
जा सकते हैं जेल,सांसदी छिन सकती है |
दुराचारियों बिना,भी संसद चल सकती है । 
नेता दिखते पस्त ,देश कुछ बेहतर होगा |
न्याय की होगइ जीत,दशहराअच्छा होगा |
——————–भ्रष्ट तंत्र से  नहीं ;न्याय से देश बचे  गा |
——————–मीडिया बन हनुमान,जानकी खोज करेगा |
——————–कुम्भकरण 
 के बा ,मेघ को मरना होगा |
——————–रावण होगा भस्म , दशहरा अच्छा होगा |
खूब हुई बरसात ,कि धरती तृप्त हो गई |
पेंग मारती फ़सल,उपज की आस बढ़ 
गई|
हँसता दिखा किसान,देशभर उत्सव होगा |
कुदरत की है कृपा ,दशहरा अच्छा होगा |
———————डीए बोनस मिला ,खरीदी जमकर होगी |
———————पकवानों की महक,घरों में महमह होगी |
———————पैसे से बाजार ,जरा मुस्काता होगा |
———————आमदनी में वढत, दशहरा अच्छा होगा |

रेवड़ी ,चूड़ा , धनुष ,वाण घर-घर में होगा |
मेला मेल-मिलाप ,मौज-मस्ती भी होगा |
महिषासुर का नाश,शस्त्र का पूजन होगा |
माँ दुर्गा की धूम ,दशहरा अच्छा होगा |
——————–जो हैं बेवश दीन ,सहारा देना होगा |
——————–अन्नाजैसे जन को,नायक बनना होगा|
——————–नोटा के अधिकार, से आगे जाना होगा|
——————–लोकतंत्र अवतरण ,दशहरा अच्छा होगा |
राम-लक्ष्मन काज ,हनू को लड़ना होगा|
आश्विनकी नवरात्रि,शक्ति का संचय होगा|
दसवें दिन रणभूमि,विजय का पर्व मनेगा |
ऐसा है अनुमान , दशहरा अच्छा होगा |

Mangal-veena.blogspot.com      Date 10.10.2013
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पूर्वानुमान केसाथ सभी सुधी पाठकों को विजय-दशमी की ढेर सारी शुभ कामनायें |
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