शनिवार, 23 जून 2018

भ्रष्टाचारियों से पिटती नासमझ भाजपा

***************जो भारतीय जनता पार्टी चार वर्ष पूर्व जनाकांछा बन पूरे देश पर छा गई और अगले तीन वर्ष या उत्तर प्रदेश के विगत विधान सभा चुनाव तक अपने उत्कर्ष पर रही ,वह अब  बुरी तरह जनाक्रोश का शिकार होने लगी है। जनाक्रोश भी ऐसा की जनता उसे महा भ्रष्टाचारी नेताओं और उनके दलों से पिटवा रही है।किसी संस्कारी ,ईमानदार और राष्ट्रवादी पार्टी से यदि भाजपा पिटती तो ठीक ही होता परन्तु दुर्भाग्य कि यह पार्टी अब बेईमान , भ्रष्टाचारी और राष्ट्रद्रोही दलों से पिट रही है। यदि मारीच को मरना है तो रावण के हाथ मरना तो बद से बदतर होगा।अच्छा होता कि इस काम के लिए भारतीय राजनैतिक क्षितिज पर किसी बेहतर दल का अभ्युदय होता। परन्तु ऐसा हुआ नहीं और जनता प्रबल संकेत देने लगी है कि बस बहुत देख लिया ;अहितकर ईमानदारों से हितकर बेईमान भले।
***************आजकल पत्रकारिता ,सोशल मीडिया ,टीवी एवँ सामान्य जन में यत्र तत्र ,सर्वत्र बीजेपी के विरुद्ध जनमत एवँ विपक्षियों के ध्रुवीकरण की चर्चा है।उपचुनाओं में  जहाँ भी ऐसे प्रयोग प्रस्तुत हो रहे हैं ,अधिकांश स्थानों पर भाजपा पिट रही है।शनैः शनैः परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनने लगी हैं कि जनता के लिए किसी गैर भाजपाई को चुनने में गुण दोष नामक पैमाना भी अनावश्यक होता दिख रहा है।बिलकुल साधारण गणित काम कर रही है कि यदि सारे विपक्षी ध्रुवीकृत होकर जनता के सामने आएंगे तो जनता भी भाजपा के विरुद्ध उन्हें विजय श्री का हार पहनाए गी क्योंकि भाजपा से कोई उम्मीद नहीं बची है।सच ही कहा है कि कलियुगे शक्ति संघे। विपक्षियों के लिए यह सूत्र वाक्य निश्चित सफलता की कुँजी सिद्ध हो सकती है। संघ चाहे कुसंघ हो या सुसंघ ;इससे जातियों और उपजातियों में बँटी जनता में कोई अन्तर नहीं पड़ता।भुक्तभोगी जनता ने अनुभव किया है कि कुसंघियों (विपक्षी दलों ) के सत्ता में रहते जो कठिनाइयाँ थीं वे सुसंघियों (भाजपा)के शासन में भी यथावत या उससे बदतर बनी हुई हैं।
***************जब सरकार की लोकप्रियता इतनी तीब्रता से गिर रही हो तब लोकसभा चुनाव पूर्व भाजपा द्वारा जनता से किये गए वादों और उनके पूरा न होने के कारणों पर परिचर्चा  सामयिक हो जाती है और इसके लिए कुछ ज्वलंत उदहारण पर्याप्त हो सकते हैं जैसे यदि भ्रष्टाचार की बात करें तो भाजपा ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने की बात की थी।लगता है कि उनके लिए इसका तात्पर्य मात्र भ्रष्टाचार मुक्त मंत्री व प्रधान मंत्री देना था। भुक्तभोगी जनता ने तो व्यवहार में यही पाया कि सरकारी तंत्र और बाबू तो जम कर उन्हें अब भी लूट रहे हैं और बिना भय के लूट रहे हैं। फिर मंत्री जी भ्रष्टाचरी नहीं हैं ;से जनता  को क्या राहत ?कोई चौराहा ,तिराहा , नुक्कड़ या कार्यालय नहीं जहाँ सरकार के निम्नतम पादन  के कर्मचारी ,सिपाही या होमगार्ड जनता को खुलेआम न लूट रहे हों।उनसे ऊपर मध्यम और उच्च पादन पर बैठे बाबुओं की रौबदार लूट का तो कहना ही क्या। ठेकेदारी व्यवस्था से मूलभूत संरचना का त्वरित विस्तार भी बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। इस लूट के प्रतिफल में कानून के राज की धज्जियाँ उड़ रही हैं।
***************विगत लोकसभा चुनाव पूर्व भाजपा ने यह भी खूब उछाला था कि सत्ता में आने पर वर्षों से जनता व देश को लूट रहे नेता और बाबू सलाखों के पीछे होंगे ;परन्तु ऐसा हुआ नहीं। अब वे ही भाजपा वाले कहते हैं कि यह भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसियों एवँ न्यायपालिका का काम है। काले धन पर चर्चा में अब वे विभिन्न देशों के साथ संयुक्त प्रयास की बात करते हैं जो बालू से तेल निकालने जैसा है।जब भी राम मन्दिर या कश्मीर की धारा तीन सौ सत्तर की बात होती है ये कछुए सी रणनीति अपनाते हैं ;कभी गर्दन बाहर तो कभी गर्दन भीतर।  यहाँ तक कि मध्यम वर्ग, जिसने इन्हें सत्ता पर बैठाया, उसके लिए कुछ करना तो दूर उलटे उन्हें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से वर्ष दर वर्ष निराश करते गए।अरुण जेटली जैसे गैरजमिनी ,अप्रायोगिक और प्रत्याकर्षक नेताओं ने आम जन का  ध्यान रखे बिना  साल के बाद साल ऐसे ऐसे बजट प्रस्तुत किए कि जनता सोचती कि सोचती रह गई।
 ***************मँहगाई के मोर्चे पर पर भी पेट्रोल एवँ डीज़ल की बढ़ती कीमतों ने कोढ़ में खाज का काम किया है और घरेलू बाजार में महँगाई का पलीता लगने लगा है।पेट्रोलियम पदार्थों की महँगाई पर सरकार ऐसे मौन है मानो उनका इस गम्भीर समस्या से कोई सरोकार नहीं। शायद भाजपा अपनी यूएसपी ही भूल बैठी है।वर्तमान परिदृश्य जनता को ऐसे कुठाँव मारती जा रही है कि मोह भंग का रंग और पक्का बनता जा रहा है।यह वास्तविकता जन जन तक पहुँच गई है कि भाजपा के प्रधान मंत्री,मुख्य मंत्री तथा उनके मंत्रिमंडल के मंत्री ईमानदार होते हुए भी एक ईमानदार और सक्षम सरकार नहीं दे सकते हैं।पिछले सारे प्रयोग यही इंगित करते हैं कि इन्हें शासन करना आता ही नहीं।
 ***************ठीक है कि मोदी जी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत की साख और भूमिका बढ़ी है ;साथ ही एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी भी। विदेशों में बसे भारतीयों को भारतीय होने या कहने में अब गर्व का अनुभव होता है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में उन्हें बड़े सम्मान से देखा जाने लगा है।बेहतर विदेशी निवेश के लिए वर्तमान सरकार सराहनीय कार्य कर रही है। परन्तु इनसे पूर्ववर्ती सरकारों की भाँति  पाकिस्तान रूपी महाव्याधि की कोई प्रभावी दवा इनके पास भी नहीं दिख रही है। दुर्भाग्य है कि पश्चिमी सीमा पर हमारे जवान जान गँवा रहे हैं परन्तु राजनैतिक अनिर्णय के कारण हम बांग्ला देश जैसा इतिहास नहीं रच पा रहे हैं।सरकार पड़ोसी पाकिस्तान से सठ के साथ सठ जैसा तत्कालिक व्यवहार कर रही है परन्तु स्थाई समाधान का  कोई अता पता नहीं।कश्मीर मुद्दे पर जनता को भाजपा से बहुत उम्मीद थी जिसपर यह सरकार पाकिस्तान परस्त श्रीमती महबूबा की पीडीपी के साथ मिल वहाँ राज्य सरकार बना कर पानी फेरती दीख रही थी।एक सर्जिकल स्ट्राइक को छोड़ ऐसा कोई चमत्कारी कार्य नहीं हुआ जिसके लिए भाजपा जानी जाती है और वह इतिहास की स्वर्णिम घटनाओं में सम्मिलित हो सके।(देर सही परन्तु दुरुस्त कि भाजपा ने पीडीपी से अपने को अलग कर लिया और कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया। भाजपा के पास अब भी इस क्षति नियंत्रण के लिए पर्याप्त समय है।)
***************इन विपरीत परिस्थितिओं के होते हुए भी पूरी संभावना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा पुनः विपक्षिओं पर भारी पड़े गी और विपक्षियों को बुरी तरह पीटेगी। इसका सबसे बड़ा कारण प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरा सक्रिय,समर्पित, निष्कलंक एवँ जादुई व्यक्तित्व है जिसकी तुलना में विपक्ष का कोई नेता कहीं ठहरता ही नहीं।उतना ही या सबसे अहं कारण राष्ट्रवाद है जिस पर जनता  अन्य दलों की अपेक्षा भाजपा पर सर्वाधिक भरोसा करती है। अन्य कारणों में राममंदिर, धारा तीन सौ सत्तर,समान नागरिक संहिता भी ऐसे मुद्दे हैं जिनपर भाजपा के अतिरिक्त किसी भी  विपक्षी दल से देश को कोई उम्मीद नहीं है।आज भारत वर्ष में वास्तविक धर्मनिरपेक्षता की ध्वजावाहक भी मात्र भाजपा ही है जब कि शेष विपक्षी दल धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कुछ धर्म और जातियों की तुष्टिकरण पर्याय हैं। जनता विपक्षियों द्वारा सत्ता के बन्दरबाँट से भी सचेत है जिसके चलते भाजपा एक स्वाभाविक चयन है।जाति ,धर्म ,भाषा,परिवारवाद ,भ्रष्टाचार और क्षेत्रियता पर खड़ी पार्टियां सत्ता के लिए एक गठबंधन बना कर चुनाव लड़ पाएं गी ;यह तो गधे को सींग जैसी घटना लगती है।
***************अतएव भाजपा आगामी चुनाव में भी विपक्षी गठबंधन से पिटे गी; यह उन द्वारा देखा जाने वाला दिवा स्वप्न है।इस बीच यदि एक भी ऊपर उल्लिखित मुद्दा भाजपा के पक्ष में क्लिक (खड़क )कर गया तो जनता फिर भाजपा को भारी बहुमत से सर आँखों पर बैठाए गी और परिवारवादी विपक्षी भ्रष्टाचारी पार्टियाँ हमेशा के लिए धराशाई हो जायँगी।ऐसा होने पर संभावना है कि चुनाव बाद भाजपा के सामने एक नए शिष्ट एवँ ईमानदार राष्ट्रीय दल का उदय हो।अन्यथा दूसरी स्थिति में भाजपा कठिनाई से केंद्र में  सरकार बना पाए गी।तीसरी स्थिति में भाजपा की  लगातार लोक प्रियता घटने पर सत्ता का विपक्षियों में बन्दर बाँट होगा जिससे केंद्र सरकार कमजोर होगी और विभिन्न प्रांतों में क्षेत्रीय क्षत्रप निरंकुशता के साथ केंद्र का हाथ मरोड़े गे। यह स्थिति देश की उभरती अर्थ व्यवस्था एवं अखण्डता के लिए अहितकर होगी। आदर्श और सर्वाधिक संभाव्य स्थिति यही है और होगी कि भाजपा को आगामी  लोक सभा चुनाव में जनता बहुमत दे ताकि वह अपने अच्छे वादों को पूरा कर पाए।तब तक कई राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव इसे शीर्ष चर्चा का विषय बनाये रखें गे।----- मंगलवीणा
***********************************************************************************************
 दिनाँक :२४ जून २०१८ ,वाराणसी------------------------- mangal-veena.blogspot.com
***********************************************************************************************