जानकारी हेतु यात्रा किया : ५ फरवरी २०११
सड़क रास्ता : गाजीपुर से बलिया मार्ग पर मुहम्मदाबाद से आगे रसरा तहसील मुख्यालय के लिए सड़क निकलती है जो तमसा(तौंसा) नदी को लखनेश्वर महादेव के पास पार करती है |
वाराणसी से दूरी : गाजीपुर ८० किलोमीटर + रसरा ४५ किलोमीटर + टीकादिउरी (नगपुरा १५ किलोमीटर )
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सड़क रास्ता : गाजीपुर से बलिया मार्ग पर मुहम्मदाबाद से आगे रसरा तहसील मुख्यालय के लिए सड़क निकलती है जो तमसा(तौंसा) नदी को लखनेश्वर महादेव के पास पार करती है |
वाराणसी से दूरी : गाजीपुर ८० किलोमीटर + रसरा ४५ किलोमीटर + टीकादिउरी (नगपुरा १५ किलोमीटर )
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बलिया जिले के रसड़ा तहसील मुख्यालय में श्री नाथ जी की समाधि नाम से एक बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल स्थित है | समाधि संकुल में कई एकड़ भूमि पर कई घाटों वाला एक भव्य जलाशय ,पुस्तकालय,शिवालय, बड़ा मेला मैदान और श्री नाथ जी का भव्य विशाल मंदिर है। इसी मंदिर के गर्भगृह में श्री नाथ जी की समाधि है | पुजारियों का कहना है कि मंदिर कम से कम 4०० वर्ष पुराना हो सकता है | मंदिर एवं तालाब की निर्माण शैली स्वयं इसकी प्राचीनता बयान करती है |लोग बताते हैं कि जब श्री नाथ जी का देहावसान हुआ तो उनकी मुख्य समाधि उनके अनुआयियों द्वारा रसरा में बनवाई गई । फिर उनके उपयोग की चीजें जैसे छड़ी,वस्त्र,छाता, इत्यादि की स्थापन से निम्न स्थानों पर भी समाधियाँ बनाई गईं--
(1 )रतसाढ़ (2 )महराजपुर (3 )टीकादिउरी (4 ) नागपुर देहरी एवं (5 ) कन्सो
(1 )रतसाढ़ (2 )महराजपुर (3 )टीकादिउरी (4 ) नागपुर देहरी एवं (5 ) कन्सो
इन्ही स्थानों पर हर पाँचवें साल प्रति स्थान श्री नाथ जी की 151 बोरें गेहूं के आटें एवं देसी घी का रोट चढ़ा कर 150 गाँव के सेंगर वंशज इनकी आराधना करते हैं | इन मेलों मे लाखो की भीड़ जुटती है |मुख्य मंदिर में स्थापित श्री नाथ जी की पूजा सभी जाति, धर्म, संप्रदाय के लोग करते हैं | इनके दर्शन के बाद वहीँ पास मे स्थित श्री रोशन शाह के मज़ार पर शीश झुकाने की प्रबल मान्यता है | इसी कारण यह स्थान हिन्दू एवं इस्लाम संस्कृति का समादर करने वाला अनुकरणीय पवित्र पीठ जैसा है । किस वर्ष रोट कहाँ चढ़ेगा-इसका निर्णय छह स्थलों की प्रबंध समिति करती है ।
लगभग दो बजे रसड़ा से चलकर तीन बजे टीका दिउरी पहुँचा | वहाँ नगपुरा गाँव से बाहर तमसा तट पर स्थित श्री( अमर ) नाथ जी का दर्शन कर अभिभूत हो गया | तमसा में अब भी अच्छा जल का प्रवाह था | वहां बताया गया कि श्री नाथ जी के बचपन का नाम श्री सत्य प्रकाश राव (राजा) था, जो सन्यास के बाद अमरनाथ हुआ एवं समाधि के बाद श्री नाथ जी हो गया | मान्यता के अनुसार श्री नाथ जी शैव (शिव भक्त) थे एवं अलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण थे |
सेंगर राजपूतों के रसड़ा बंध पहुचने की ऐतिहासिक जानकारी वहाँ कम लोगो में है | केवल इतना ही इंगित कर सके कि शायद वे लोग कई सौ बर्ष पहले मध्यप्रदेश से इटावा उत्तरप्रदेश होते हुए बलिया आये एवं रसड़ा क्षेत्र में एक बड़ी रियासत बना लिये । अंग्रेजो के समय तक वे काफी शक्ति सम्पन्न हो चुके थे | यह आश्चर्य की बात है कि अंग्रेज शासक श्री नाथ जी को दो रुपये प्रति बर्ष लगान ( भूमि टैक्स ) देते रहे जो अंग्रेजो के जाने के कई बर्षो बाद तक चलता रहा | शायद जार्ज पंचम ( ब्रिटिश सम्राट ) श्री नाथ जी के अदभुत चमत्कारों की लोहा मानते थे | टीका दिउरी में समाधि के पीछे जार्ज और उनके बच्चो के भित्ति चित्र अंकित है | टीका दिउरी की उपजाऊ हरीतिमा ने मनमोह लिया | वहां के पुजारी को मैंने अपना सेंगर(राजपूत) होने की बात बताते हुए उनके पुस्तिका में अपने परिवार का पता अंकित कराया, रोट का प्रसाद ग्रहण किया एवं पूरे घर के लिए प्रसाद सुरक्षित रख लिया |
पूर्वजो की जन्म भूमि एवं तमसा की गोंद, जहाँ हमारे पूर्वज पले,बढे और पीढ़ियाँ आगे बढ़ी, देखकर बहुत रोमांचित हुआ । परन्तु उनके पिछले तार व हमारे वर्तमान तार जुड़ने की जानकारी न मिलने से भविष्य में खोज जारी रखने की योजना बनाते घर वापसी का राह लिया |
। । यही हैं हमारे कुल देवता श्री श्री नाथ जी महाराज । ।
क्रमशः...............
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क्रमशः...............
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दिनाँक : 2 0 . 2 . 2011 Mangal-veena.blogspot.com @Gmail.com
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interesting & informative .......... looking forward to the next post
जवाब देंहटाएंKindly mention the names of sengar rajput personalitis like mla ,mp, in hindi literature, and in other education fields.
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