लोग कहते हैं, कि समय से पहले कुछ नही होता | बीते कई वर्षों से भारतीय जन मानस भ्रष्टाचार की पीड़ा से कराह रहा है | दुष्यंत के शब्दों में :-
हो गयी है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए |
अब हिमालय से कोई, गंगा निकलनी चाहिए ||
पिछले सप्ताह यह यकीन हो गया कि हिमालय से गंगा को निकालने वाला भागीरथ अन्ना हजारे के रूप में अवतरित हो गया है | मूक ब्यथा को वाणी मिल गयी | विजय हो इस जन-वाणी की |अन्ना साहब के साथ सब लोग आगे बढ़ें । अन्ना साहब हम भी तुम्हारें साथ हैं |
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अंततः
अंततः
आज ही हमारे एक मित्र जमील साहब हमसे मिलने आये | वे बहुत खुश थे। कहने लगे " अन्ना साहब के आन्दोलन का दफ्तरों में बहुत अच्छा असर पड़ रहा है । जिस काम के लिए कल तक पांच की मांग थी, आज वह काम दो में होने लगा | "
जमील साहब ने कहा- आइये! आज समोसा एवं लौंगलता की पार्टी करते हैं |
जय हो आन्दोलन की !
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दिनाँक 10 . 4 . 2011 mangal-veena.blogspot.com
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दिनाँक 10 . 4 . 2011 mangal-veena.blogspot.com
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