सोमवार, 30 दिसंबर 2019

वाह फेविकोल वाह

*************************अपने आचरण के विपरीत कोई कोई वाणिज्यिक विज्ञापन भी हमें गुदगुदा जाते हैं।ऐसे विज्ञापन अपने उत्पाद का प्रचार प्रसार तथा विपणन विस्तार तो करते ही हैं;साथ में अपने संवाद संप्रेषण एवँ मिठास के कारण अति लोकप्रिय हो जाते हैं। इस वर्ष एक ऐसा ही विज्ञापन टीवी पर फेविकोल के लिए आया जिसका शीर्ष बोल है "सोफा बनाए तो दिल से बनाए "।अन्य विज्ञापनों से हट कर इस विज्ञापन ने, प्रचार प्रसार का काम करने के साथ साथ , कर्णप्रिय संगीत और प्रेरक सन्देश दिया है। सबसे बड़ी विशेषता यह कि शर्माईन के यहाँ से चल कर बंगालन तक पहुँचने वाली सोफे की साठ साल की यात्रा वयान करते करते पीडिलाइट इंडिया ने ,तेजी से, भारत के बदलते परिदृश्य का बड़ा ही सजीव  प्रस्तुतीकरण किया है।सफलता का राज भी तो यही है कि प्रयास दिल से किया जाय।मुझे ऐसा लगता है कि इस विज्ञापन ने आप का भी ध्यान अवश्य आकृष्ट किया होगा। अस्तु फिर कभी इसे जरा ध्यान से सुनिए गा और इसके सन्देश को महसूसिए गा।अच्छा लगे तो फिर सुनिए गा। प्रणाम।  ------------------------------------------------------मंगलवीणा
 वाराणसी :सोमवार दिनाँक 30 दिसम्बर 2019     

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

Mangal-Veena: इतिहास बनाए तो ऐसे बनाए

Mangal-Veena: इतिहास बनाए तो ऐसे बनाए: ***************किसी भी देश या समाज का इतिहास उसके अतीत में घटित घटनाओं और उनके प्रभावी आयामों का यथार्थ अभिलेखन होता है।कालक्रम में बिना कि...

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

इतिहास बनाए तो ऐसे बनाए

***************किसी भी देश या समाज का इतिहास उसके अतीत में घटित घटनाओं और उनके प्रभावी आयामों का यथार्थ अभिलेखन होता है।कालक्रम में बिना किसी दूसरे समाज या संस्कृति से दबे या चोट खाए जो समाज अपनी संस्कृति और सभ्यता का विकास जारी रखते हुए उसे सही रूप में अभिलेखित कर पाता है वह अपने लिए गौरवान्वित करने वाले इतिहास का सृजन करता है अन्यथा  संघर्ष में पराजित होने या पिछड़ने पर उसे झेंपाने और ग्लानि देने वाले छद्म इतिहास का उत्तराधिकारी बनाया जाता है।यही कारण है कि सम्पूर्ण भारत के परिपेक्ष्य में पृथ्वीराज चौहान के बाद सन उन्नीस सौ सैंतालीस में देश को स्वतंत्र होने तक हमारा इतिहास, कुछ अपवाद खंडों को छोड़ कर, झेंपने- झेंपाने वाला बनाया और बताया गया। जो देश सांस्कृतिक सभ्यता एवं मानवता विकास का आदि काल से विश्व में सबसे अग्रणी भूभाग रहा उसके मध्य कालीन एवँ आधुनिक इतिहास को शासकों के इशारे पर वदनियत इतिहासकारों ने विद्रूप कर दिया।गणतंत्र बनने के बाद भी सत्ता में बैठे विदेशी संस्कृति वाले देशी लोग हमारे देश को औपनिवेशिक शासकों के ढर्रे पर चलाते रहे।  उनके संरक्षण में हमें हीन बताने वाला छद्म इतिहास पढ़ाया जाता रहा और हिन्दू बहुल समाज अपने अतीत के प्रति हो रहे दुराग्रह से छटपटाता और छला महसूस करता रहा।इस बीच भारत और भारतीयता पर गर्व करने वाले महापुरुषों एवँ संगठनों के नेतृत्व में सामाजिक एवँ सांस्कृतिक पुनरुत्थान के पुरजोर प्रयास भी जारी रहे । परिस्थितियाँ बनती गईं और सन दो हजार चौदह आते आते  हिंदू (भारतीय ) संस्कृति और राष्ट्रवाद का पूरे देश में ऐसा प्रचण्ड ज्वार उठा कि राष्ट्रवाद सह हिन्दू संस्कृति की उपेक्षा करने वाली विचार धाराएँ तहस नहस होने लगीं और भारतीय जनमानस ने मन ही नहीं बनाया बल्कि अपने राष्ट्र और संस्कृति को विश्वपटल  पर स्थापित करने के लिए मोदी नीत भाजपा को बहुमत से केंद्रीय सत्ता में बैठा दिया।
*************** फिर क्या  पिछले छः वर्षों के बेहतरीन घटनाक्रमों से सजा भारतीय इतिहास स्वर्णाक्षरों से अंकित हो रहा है। साथ ही पूर्व के इतिहास को भी सत्य एवँ यथार्थ के कसौटी पर कसा जा रहा है।सन दो हजार चौदह से वर्तमान वर्ष के पूर्वार्द्ध वाले पाँच वर्षीय कालखण्ड में नए धरातल पर खड़ी भाजपा सरकार  ने ,जनता से प्राप्त विश्वास के अनुरूप एक से बढ़ कर एक निर्णय एवँ क्रियान्वयन से, देश तथा दुनियाँ को चकाचौंध किया। जनता एवँ सरकार से इस कालखण्ड को स्वर्णिम कालखण्ड बनानेवाली अनेकानेक महत्वपूर्ण घटनाएँ उपजीं जो पूरी दुनियाँ में नई दृष्टि से देखी ,चर्चित और प्रशंसित हुई हैं। उल्लेख के लिए भारत के संसदीय चुनाव प्रणाली में पहली बार अमेरिका की भाँति पूरे देश में चुनाव केवल एक मुद्दे पर लड़ा गया कि श्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधान मंत्री हों या न हों। कौन सांसद पद प्रत्याशी बनाया गया ,गौण हो गया। भाजपा को बहुमत देकर जनता द्वारा स्पष्ट सन्देश दिया गया कि शासन उसे सौपा जायगा जो भारत ,भारतीयता और भारतीय संस्कृति को पुनर्स्थापित करते हुए देश को पूरे विश्व में सम्मान और गौरव दिलाए गा।तथास्तु ,मोदी जी ने जनता के प्रबल जनसमर्थन को देश ही नहीं पूरी दुनियाँ में आत्मविश्वास के साथ प्रतिध्वनित किया। वे दुनियाँ में जहाँ भी गए ,वहाँ बसे प्रवासी भारतीयों ने उन्हें हाथोहाथ लिया और वे पूरे विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र के सर्वाधिक जनप्रिय नेता के रूप में प्रतिष्ठित हुए।नए भारत के इस नए नेता ने देश का ऐसा गौरव बढ़ाया कि दुनियाँ वालों का भारतीयों को देखने व उनसे व्यवहार का दृष्टिकोण ही बदल गया।लोग गर्व से कहने लगे कि हम भारतीय हैं।दूसरी ओर पश्चिमी सीमा पर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को उनके दुस्साहस का उत्तर सर्जिकल स्ट्राइक एवँ एयर स्ट्राइक से देकर कड़ा सन्देश दिया गया कि नया भारत किसी भी प्रकार का आतंकवाद या भृकुटि विक्षेप सहन नहीं करे गा । ऐसा ही सन्देश चीन जैसी महा शक्ति को ढ़ोकलाम में दिया गया। नया भारत अब एक उदार देश वाली छवि से बाहर निकल एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाला देश हो गया ।
***************अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में सराहनीय कार्यों के साथ साथ देश के अंदर वीआईपी संस्कृति और भ्रष्टाचार पर प्रहार ,स्वच्छ भारत अभियान ,उज्ज्वला एवँ  पीएम आवास जैसी योजनायें या गरीब सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देना कुछ ऐसे कार्य थे जो समाज के हर वर्ग को सुखद स्पर्श दिए। परिणामस्वरूप  विरोधिओं द्वारा वोट के लिए खड़ी जातिवाद और धर्म की छद्म दीवार तेजी से ढहीं।समाज से तुमुल ध्वनि हुई कि धर्मनिर्पेक्षता के मायने केवल अल्पसंख्यकों के हित की बात करना ही नहीं बल्कि भारत में बहुसंख्यकों की उससे पहले बात करना भी है।मोदी जी का  "सबका साथ- सबका विकास परन्तु तुष्टिकरण किसी का नहीं "नारा समाज में विश्वसनीयता के धरातल पर उतर गया।सच तो यह है की देशव्यापी समर्थन के बाद भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार क्रियान्वित होने लगे और हमारी संस्कृति पुरानी जड़ों की ओर वापस लौट पड़ी परन्तु भारतीय संसद के ऊपरी सदन में राजग का बहुमत न होने और विरोधियों के असहयोग के कारण देश की कुछ अति महत्वपूर्ण समस्याएँ हल नहीं हो पा रही थीं। अतः इस वर्ष के पूर्वार्द्ध में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के लिए एजेंडा में उन मुद्दों को पुनः समाहित करते हुए भाजपा ने राष्ट्रवाद से आगे प्रखर राष्ट्रवाद का नारा दे दिया। फल आशातीत रहा और भाजपा नीत राजग दो तिहाई बहुमत का  आँकड़ा पार कर गया।समय और प्रवंधन के बल पर अब भाजपा राज्यसभा में भी बहुमत सिद्ध करने की स्थिति में थी और वह समय आ गया कि युगान्तकारी निर्णय लिए जाँय।
***************हमारे इतिहास में अल्पावधि में उल्लेखनीय कार्यों के लिए शेरशाह सूरी का रिकार्ड था परन्तु यह क्या छः महीने में वे दीर्घकालिक समस्याएँ हल कर दी गईं जिनको माना जा रहा था कि इनको छेड़ने से देश के अस्तित्व को संकट है।स्वतन्त्रता के बाद से मोदी सरकार की दूसरी पारी शुरू होने तक कश्मीर समस्या देश के लिए नासूर सी कष्ट दे रही थी। कई हजार सैनिक ,नागरिक और कश्मीरी पण्डित जान गँवा चुके थे। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने पूरी घाटी को रक्तरंजित कर रखा था। लाखों कश्मीरी पण्डितों को  घाटी से पलायन कर देश के अन्य भागों में शरण लेना पड़ा परन्तु विगत काँग्रेस सरकार हाथ पर हाथ धरे सत्ता सुख लेती रही। घाटी के अलगाववादी नेता कश्मीर के अलग होने का भय दिखाकर केंद्र से बेतहाशा धन लूटते रहे और धमकाते रहे कि यदि कश्मीर से धारा 370 या 35 ए हटाया गया तो घाटी में भारतीय ध्वज को कोई कन्धा देने वाला नहीं होगा। कमाल देखिए दृढ़ निश्चयी मोदी जी एवं उनकी सरकार का कि पहले मानसून सत्र के पाँच अगस्त को संसद में प्रस्ताव पास करा कर कश्मीर से धारा 370 एवँ 35 ए को समाप्त कर दिया और राज्य को जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख नाम से दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित कर दिया। इस निर्णय पर   कतिपय देशद्रोहियों को छोड़कर समूचा देश झूम पड़ा। सरकार ने संसद के इसी सत्र में जम्मू और कश्मीर  विधेयक से पहले तीस जुलाई को मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक कानून को अवैध  करने वाला विधेयक पास कर करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के आँसू पोछा और समाज में सम्मानजनक जीवन का अधिकार दिया।यह सामान्य नागरिक संहिता की दिशा में बढ़ता एक कदम भी था।
 **************पूरा देश उल्लसित था कि अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायलय के पाँच जजों वाले बेंच ने नौ नवम्बर को सुप्रीम फैसला दे दिया कि विवादित भूमि राम लला विराजमान की है और उस पर बाबरी मस्जिद का निर्माण अवैध था।पूरी दुनियाँ साक्षी है कि राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच चार सौ वर्षों से चल रहा सर्वाधिक त्रासद विवाद रहा है।आजादी के बाद भी तुष्टिकरण के चलते पूर्व सत्ताधारी और आज के विपक्षी सदैव मुस्लिमों के पक्ष में बात एवं आचरण करते रहे जब कि भाजपा, राष्ट्रीय स्वयँ सेवक तथा विश्व हिन्दू परिषद् ,अनेक हिन्दू एवँ संत संघटनों के साथ, लगातार राम मंदिर के पक्ष में संघर्षरत थे।इस प्रसंशनीय निर्णय को देश के हिन्दू और मुसलमानों ने अत्यंत सहजता और शान्ति से सर माथे लेकर भाई चारे का वह प्रकाश स्तम्भ बनाया जो भविष्य के इतिहास को भी प्रकाशित करता रहे गा।संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होते होते सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक भी दोनों सदनों से पास करा कर राष्ट्रपति से स्वीकृति ले ली जिससे पड़ोसी मुस्लिम देशों से उत्पीड़ित होकर सन चौदह से पहले भारत आए हिन्दू ,सिख ,ईसाई ,बौद्ध ,पारसी या जैन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया। अब ऐसे लोग देश के एक आम नागरिक की भाँति जीवन यापन कर सकें गे।
***************निःसंदेह उपर्युक्त उपलब्धियाँ इतिहास में स्वर्णाक्षरीय हैं परन्तु कुछ विधेयकों का क्रियान्वयन उन्हें संसद से पारित कराने की अपेक्षा ज्यादा कठिन होगा क्योंकि अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे विपक्षी, सरकार को असफल करने में, कोई कोर कसर नहीं छोड़ें गे वरन उनके वंशवाद ,तुष्टिकरण और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का भविष्य क्या होगा।आने वाला समय संदर्भित निर्णयों के क्रियान्वयन की सफलता तथा देश की प्रगति में इनके योगदान का आकलन करे गा और इस अल्प काल खण्ड के इतिहास में परिणामी आयाम जोड़े गा परन्तु आज तक की अद्यतन स्थिति यह है कि देखते ही देखते तीन तलाक ,कश्मीर की धारा 370 और 35 ए ,अयोध्या का राम जन्मस्थान विवाद और शरणार्थियों के लिए नागरिकता जैसी विकराल राष्ट्रीय समस्याओं का चंद महीनों में निराकारण हो गया है ।सारांशतः देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और आज के भारत के लिए यह कहना समय संगत होगा कि इतिहास बनाए तो ऐसे बनाए।अब मोदी जी का पूरे विश्व में चर्चित नारा है ,"सबका साथ -सबका विकास और सबका विश्वास।साथ ही पूरे देश में एक धारणा बन गई है कि कोई भी असंभव या दुष्कर कार्य हो; वह मोदी जी के लिए संभव है अर्थात मोदी हैं तो मुमकिन है। यह है मोदी जी का करिश्माई व्यक्तित्व।अच्छा है कि देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री।अस्तु।----------------------------------------------मंगलवीणा
वाराणसी ;दिनाँक 17 दिसम्बर 2019                               mangal-veena.blogspot.com
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अंततः
***************प्रिय पाठकों ! वर्ष दो हजार उन्नीस हम भारतीयों को श्री रामजन्मभूमि जैसा हर्षद उपहार देते हुए अपनी विदाई के अन्तिम पादन पर है। निजी जीवन में हम सभी के लिए वर्ष मिश्रित फल देने वाला रहा। महँगाई और बच्चों की असहनीय मँहगी शिक्षा ने तो त्राहि माम् की गुहार लगाने को विवश कर रखा है।न जाने कब हमारे देश में प्रारम्भिक एवँ माध्यमिक शिक्षा माफियाओं के चंगुल से मुक्त हो पाए गी। भरोसे की डोर पकड़ प्रतीक्षा करें कि देश हित में एक से बढ़ कर चमत्कारी निर्णय लेने वाली सरकार शायद आने वाले वर्षों में आम जन की समस्याओं पर ज्यादा संवेदनशील होगी। प्रार्थना है कि हम भारतवासियों पर अयोध्या नरेश प्रभु श्री राम की अपार कृपा बनी रहे।इसी के साथ आँग्ल नव वर्ष की मंगलमयी कामनाएँ और प्रणाम  -----------------------------------------------------मंगलवीणा
वाराणसी ;दिनाँक 17 दिसम्बर 2019
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