मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

सब विन - विन सिचुएशन में हों ,यह नूतन वर्ष .....

छः दिसंबर 1992को बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद नव वर्ष की शुभ कामना
देनेवाली अपनी कविता को और आगे बढ़ा रहा हूँ और निम्न पंक्तियों से
अपने समस्त शुभेक्षुओं, पाठकों एवं टिप्पणीकारों को नवागत वर्ष के लिए
ठेर सारी शुभकामनाएं संदेशित करता हूँ ।
                                                 कविता
जो बीत गया सो बीत गया,यह नूतन वर्ष सुहावन हो।
.................................जीवन तरु में नव पल्लव हों,उसपर उमंग की चहचह हो।
.................................मीठे फल सबके हाथ लगें , यह नूतन वर्ष  सुहावन  हो।
हर सोच सफलता मे बदले,यश गौरव का उन्नायक हो।
भाई - चारा, सहयोग बढे , यह नूतन  वर्ष  सुहावन  हो।
.................................धन-धान्य और परिवार बढ़े,सब रिश्ते मंगलदायक हों ।
.................................नारी की घर-घर पूजा   हो, यह नूतन वर्ष  सुहावन हो।
अपने तो अपने होते हैं ,  इस जीवन में वे  गैर न हों ।
जो रूठे उन्हें मना लेंवे, यह नूतन वर्ष सुहावन  हो ।
.................................परिश्रम में सोंधी खुशबू हो, यह धरती भरी वनस्पति हो।
.................................तन-मन से सभी नीरोगी हों, यह नूतन वर्ष सुहावन हो।
बीते अनुभव सब नींव बने,उसपर एक भवन भरोसा हो।
सब धर्म दिव्य दरवाजे  हों , यह नूतन वर्ष सुहावन  हो।
.................................सारे सद्भाव  झरोखे हों ,  भीतर वह सत्य अकेला हो ।
.................................तँह साथ प्रार्थना करें सभी,यह नूतन वर्ष सुहावन हो।
मानव की सेवा साध्य बने, यह संवाहिका सहायक  हो।
सब बोलें भारत की जय हो , यह नूतन वर्ष सुहावन हो।
.................................मेरी बौनी अभिलाषा है, सब मस्त रहें , सब  अच्छा  हो।
.................................सब विन-विन सिचुएशन में हों,यह नूतनवर्ष सुहावन हो।
जो बीत गया सो बीत गया, यह नूतन वर्ष सुहावन हो।
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# - विन-विन सिचुएशन :- हमारी भी जय हो, तुम्हारी भी जय हो की स्थिति।



  

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